Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन
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जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर shiv chalisa lyricsl भये विहाला॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु Shiv chaisa हमारी॥
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥